तिस साल के अपने शांतिपूर्वक राज में,
उसने अपनी पवित्र भूमि को सिमाओंको बढाया था
उसकी हर किसने तारीफ ही की...
कोमल ह्रदय हो या सख्त दिल इन्सान
बूढा हो या हो फिर जवान
नन्हे नन्हे बच्चोंको उसकी कहानिया सुनाकर ...
उसी की तरह बन्ने को प्रेरित किया जाता था
ब्रह्मा के बाद हमारी भूमि पर राज करने के लिए
उस उच्च कुलीन महिला का जन्म हुवा था
उसकी चमकदार काया थी और ह्रदय बड़ा ही कोमल था
ऐसी महान कर्तुत्व से भरे...शक्सियत का नाम महारानी अहिल्या था
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धन-धान से धन्य वह सुखी राज्य-काल,
आशीष में उनके बढता रहा तीस साल,
व्रद्ध और तरुण, सख्त और सभ्य
प्रजा थी सारी, उनके प्रति कृतज्ञ
दोहराते थे हर आँगन में अनमोल
माँ की गोद में शिशु यह बोल
" ..अंत में हुआ जब ब्रह्म गान
वैभवी एक महिला आयीं महान
नम्र और वीर, शासक थीं वो निष्ठावान
महारानी अहिल्या था उनका आदरणीय नाम..."
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